Wednesday, October 28, 2009

ओवरलोडिंग पर नहीं चल रहा कानून का डंडा

भागलपुर। आदमी को जानवर की तरह बस में बिठाने का नजारा सुल्तानंगज - देवघर मार्ग पर ही नहीं अमूनन यह नजारा बिहार की उन हर सड़कों पर देखने को मिलती है जिस होकर बड़े वाहनों का परिचालन होता है। मंगलवार को सुल्तानगंज - देवघर मार्ग के बछौर गांव के समीप हुई बस दुर्घटना में घायलों की तायदाद इतनी नहीं होती अगर वाहन पर निर्धारित क्षमता के अनुरूप यात्रियों को बिठाया जाता । दरअसल पैसे के लालच में वाहन चालक व खलासी यात्रियों को बस की सीट के अलावा बस के अंदर व छत पर ठूस देते हैं। हाल ही में परिवहन विभाग की ओर से एक निर्देश दिया गया थी वाहनों पर ओवरलोडिंग करने वाले बस मालिकों के साथ - साथ छत पर सवारी करने वाले यात्रियों से भी जुर्माना भी वसूला जाएगा । लेकिन इन आदेश धरातल पर नहीं उतर पाए । अधिकांश बस चालक स्टैंड किरानी के साथ मिलकर यात्रियों की जान को जोखिम में डाल सफर को संकट में डाल रहे हैं। मायागंज अस्पताल में भर्ती कई घायल बस के अंदर खड़े थे। घायलों ने बताया कि बस की निर्धारित सीट 52 थी । लेकिन बस पर करीब सौ से अधिक यात्रियों को ऊपर नीचे बिठाया गया था। पुलिस का कहना है कि ओवरलोडिंग रोकने का काम परिवहन विभाग का है। लेकिन परिवहन विभाग अपनी जिम्मेवारी का सही निर्वहन नहीं कर रहा है। सुल्तानगंज से देवघर के लिए हर दिन सुल्तानगंज बस डिपो से दर्जन से अधिक बड़ी बस खुलती है। सवारियों को बिठाने की होड़ में यात्रियों की जिंदगी का जरा भी ख्याल नहीं रखा जाता है। अगर कोई यात्री नियम कानून का हवाला देता है तो उसे या तो चालक - सह चालक से पंगेबाजी मोल लेनी पड़ती या फिर बस से उतरना पड़ता है। ऐसे में यात्री अपनी यात्रा को मंगलमय बनाने के लिए बस चालकों का जुल्म मौन रखकर बर्दाश्त करने में ही अपनी भलाई समझते है। सड़क पर हो रहे हादसों की मुख्य वजह ओवरलोडिंग भी है। वाहन मालिकों की दबंगई की आड़ में ओवरलोडिंग के बने कानून धूल फांक रहे हैं। पुलिस - प्रशासन व परिवहन विभाग सभी एक दूसरे पर दोषारोपण कर अपनी जिम्मेवारियों से बच रहे हैं और हादसों पर हादसा हो रहा है। सब कुछ जानकार भी शासन - प्रशासन मौन व खामोश है।

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