Friday, March 12, 2010

विक्रमशिला विश्वविद्यालय को लेकर सरकार गंभीर पहल नहीं कर रही

इतिहासकार पंचानन मिश्र का कहना है कि विक्रमशिला विश्वविद्यालय को लेकर सरकार गंभीर पहल नहीं कर रही है। जिस तर्ज पर नालंदा को विकसित करने के लिए सरकार कोशिश कर रही है, उसकी तुलना में अभी विक्रमशिला विश्वविद्यालय के लिए ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यदि सरकार विक्रमशिला स्थल को विकसित करने के लिए सचमुच में प्रयास करना चाहती तो फिर यहां पर केन्द्रीय विश्वविद्यालय खोलने के लिए कदम उठाना चाहिए। किंतु सरकार यहां केन्द्रीय विश्वविद्यालय खोलने के बजाए मोतीहारी में खोलने के लिए पहल कर रही है। हालांकि पता चला है कि वहां पर केन्द्रीय विश्वविद्यालय खोलने के लिए केन्द्र राजी नहीं है।

श्री मिश्र के मुताबिक, नालंदा विश्वविद्यालय में एक द्वार का पता चला है जबकि विक्रमशिला में छह द्वार थे। द्वार की संख्या छह होने का तात्पर्य है कि यहां पर छह विषयों की पढ़ाई होती थी जिनमें केवल तंत्र विद्या ही नहीं बल्कि फीजिक्स, केमिस्ट्री, क्रिएटिव रिलीजन, कल्चर आदि शामिल थे। विक्रमशिला विश्वविद्यालय में लगभग दस हजार विद्यार्थियों की पढ़ाई होती थी और उनके लिए करीब एक सौ आचार्य पढ़ाने का काम करते थे। गौतम बुद्ध स्वयं यहा आए थे और यही से गंगा नदी पार कर सहरसा की ओर गए थे।

श्री मिश्र के मुताबिक, ऐसा कोई प्रमाण सामने नहीं आया है कि नालंदा से कोई स्कालर यहां आकर पढ़ाने का शुरू किया। बेशक यहां से तिब्बत के राजा के अनुरोध पर दिपांकर अतीश तिब्बत गए और उन्होंने तिब्बत से बौद्ध भिक्षुओं को चीन, जापान, मलेशिया, थाइलैंड से लेकर अफगानिस्तान तक भेजकर बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार किया। विक्रमशिला के बारे में सबसे पहले राहुल सांस्कृत्यायन ने सुल्तानगंज के करीब होने का अंदेशा प्रकट किया था। उसका मुख्य कारण था कि अंग्रेजों के जमाने में सुल्तानगंज के निकट एक गांव में बुद्ध की प्रतिमा मिली थी। बावजूद उसके अंग्रेजों ने विक्रमशिला के बारे में पता लगाने का प्रयास नहीं किया। इसके चलते विक्रमशिला की खुदाई पुरातत्व विभाग द्वारा 1986 के आसपास शुरू हुआ। खुदाई कार्यो की देखरेख में लगे बी.एस.वर्मा ने बहुत अधिक दिलचस्पी नहीं दिखाई और अधिकांश मूर्तियां यहां से उठाकर पटना ले गए और वहीं जमा कर दिए। आज तक उसकी रिपोर्ट यहां नहीं है। ऐसी स्थिति में वर्तमान सरकार द्वारा महोत्सव कराया जाना महज एक राजनीतिक प्रपंच है। इससे कोई दीर्घकालिक परिणाम निकलने वाला है।

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