Wednesday, May 13, 2009
क्या ऐसा होता माडल स्टेशन?
भागलपुर। यात्रियों की संख्या में तो इजाफा हुआ ,लेकिन सुविधाओं में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई। यही सच है नवगछिया स्टेशन का जिसे रेलवे ने माडल स्टेशन के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है। रेलवे लाइन के दोहरीकरण के बाद यहां तीन ट्रैक जरूर हो गए लेकिन प्लेटफार्म दो पर शेड के अभाव में यात्री धूप व बरसात में तपने व भींगने को मजबूर हैं। प्लेटफार्म दो पर एक शेड बना जरूर है लेकिन वह इतना छोटा है कि यात्रियों को कोई भी राहत नहीं मिलती है। प्लेटफार्म एक से दो नंबर व बस पड़ाव जाने के लिए एकमात्र पैदल ओवर ब्रिज पर हल्की बरसात के बाद जलजमाव के कारण यात्रियों को बेहद दिक्कतों के बीच आवागमन करना पड़ता है। वार्ड पार्षद पवन पासवान का कहना है कि स्टेशन रोड की भी स्थिति जर्जर है। सड़क की सुधि लेने वाला तक कोई नहीं है। दो साल पहले बाढ़ में ध्वस्त इस सड़क का निर्माण विभागीय कागजों में धूल फांक रहा है। पुस्तक विक्रेता अनिरूद्ध सिंह का कहना है कि केवल नाम का माडल स्टेशन है। आए दिन स्टेशन परिसर शाम होते ही अंधेरे में गुम हो जाता है। सड़क बरसात में कीचड़ से इस कदर सन जाती है कि जरा सी असावधानी होने पर गिरना तय है। मंगलवार को बरसात के बाद ओवर ब्रिज पर चढ़ने वाला स्थान जलजमाव से भर गया है। पूरे मामले में इंजीनियरिंग विभाग के सहायक ने बताया कि जलजमाव की समस्या से निजात दिलाने के लिए वरीय अधिकारियों को प्रस्ताव भेजा जा रहा है। साथ ही प्लेटफार्म दो पर शेड बनाने का कार्य चल रहा है।
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