सैकड़ों एकड़ भूमि में कसाल उपजाने को विवश हैं किसान
Apr 22, 12:42 am
भागलपुर। वर्ष 1995 में आई बाढ़ की विभीषिका से प्रखंड के पूर्वी इलाके के गांवों के 5 सौ एकड़ खेतों में बालू भर जाने से किसान फसल के स्थान पर कसाल उपजाने को विवश हैं। कभी सब्जियों की अत्यधिक फसल उपजाने के लिए विख्यात अंगारी, सारथ, डंडाबाजर, छोटी दोस्तनी, बड़ी दोस्तनी, भड़ोखर आदि गांवों के खेत आज बंजर हो चुके हैं। एक समय यहां की सब्जियां बाहर भेजी जाती थी और किसानों के आय का मुख्य जरिया इसकी खेती होती थी। लेकिन अब यहां के किसान मन मारकर अपने बंजर खेतों में कसाल उपजाने को विवश हैं। आय का मुख्य साधन समाप्त हो जाने के कारण यहां के किसानों को रोजगार के लिए दूसरे शहरों में जाना पड़ रहा है। बीते वर्ष सरकार ने फसल मुआवजा व बालू हटाने के नाम पर किसानों को आर्थिक सहायता दी थी। लेकिन यह राशि कुछ ही किसानों को मिल पायी थी। जिसके कारण वह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुआ और आज भी गांवों के अधिकतर खेतों में बालू भरे पड़े हैं। किसानों ने कहा कि खेतों से बालू हटाने का कई बार प्रयास किया गया लेकिन वे उसमें सफल नहीं हो पाए तो थक-हार कर बैठ गए। विभागीय अधिकारियों से भी आरजू-मिन्नत की पर कोई लाभ नहीं हुआ। अंगारी गांव के किसान बद्री मंडल एवं आनंदी प्रसाद सिंह का कहना है कि यहां के किसान अब खेती के बजाय शहरों में जाकर मजदूरी करते हैं।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment