Monday, April 13, 2009

लतीफ़े

पत्नी (पति से)- जब तुम तेजी से कार चलाते हुए टर्रि्नग लेते हो तो मुझे डर लगता है कि कहीं कोई दुर्घटना न हो जाए।
पति (पत्नी से)- बेवकूफ औरत, ऐसे मौकों पर तुम डरो मत मेरी तरह तुम भी चुपचाप आंखें बंद कर लिया करो।

संता (बंता से)- ओए बंता भाई एक बात बताओ, अगर नींद न आए तो क्या किया जाए?
बंता (संता से)- नींद का इंतजार करने से अच्छा है बंदा सो ही जाए।

मंजीत (डॉक्टर से)- डॉक्टर साहब, मुझे एक समस्या है।
डॉक्टर (मंजीत से)- क्या?
मंजीत- मुझे बात करते वक्त आदमी दिखाई नहीं देता।
डॉक्टर- ऐसा कब होता है?
मंजीत- जब-जब मैं फोन पर बात करता हूं।

2 comments:

  1. प्रिय बन्धु
    बहुत अच्छा लगा आपका लेखन
    आज कल तो लिखने पढने वालो की कमी हो गयी है ,ऐसे समय में ब्लॉग पर लोगों को लिखता-पढता देख बडा सुकून मिलता है लेकिन एक कष्ट है कि ब्लॉगर भी लिखने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं जबकि पढने पर कम .--------
    नई कला, नूतन रचनाएँ ,नई सूझ ,नूतन साधन
    नये भाव ,नूतन उमंग से , वीर बने रहते नूतन
    शुभकामनाये
    जय हिंद

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