Wednesday, April 22, 2009

सैकड़ों एकड़ भूमि में कसाल उपजाने को विवश हैं किसान

सैकड़ों एकड़ भूमि में कसाल उपजाने को विवश हैं किसान
Apr 22, 12:42 am
भागलपुर। वर्ष 1995 में आई बाढ़ की विभीषिका से प्रखंड के पूर्वी इलाके के गांवों के 5 सौ एकड़ खेतों में बालू भर जाने से किसान फसल के स्थान पर कसाल उपजाने को विवश हैं। कभी सब्जियों की अत्यधिक फसल उपजाने के लिए विख्यात अंगारी, सारथ, डंडाबाजर, छोटी दोस्तनी, बड़ी दोस्तनी, भड़ोखर आदि गांवों के खेत आज बंजर हो चुके हैं। एक समय यहां की सब्जियां बाहर भेजी जाती थी और किसानों के आय का मुख्य जरिया इसकी खेती होती थी। लेकिन अब यहां के किसान मन मारकर अपने बंजर खेतों में कसाल उपजाने को विवश हैं। आय का मुख्य साधन समाप्त हो जाने के कारण यहां के किसानों को रोजगार के लिए दूसरे शहरों में जाना पड़ रहा है। बीते वर्ष सरकार ने फसल मुआवजा व बालू हटाने के नाम पर किसानों को आर्थिक सहायता दी थी। लेकिन यह राशि कुछ ही किसानों को मिल पायी थी। जिसके कारण वह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुआ और आज भी गांवों के अधिकतर खेतों में बालू भरे पड़े हैं। किसानों ने कहा कि खेतों से बालू हटाने का कई बार प्रयास किया गया लेकिन वे उसमें सफल नहीं हो पाए तो थक-हार कर बैठ गए। विभागीय अधिकारियों से भी आरजू-मिन्नत की पर कोई लाभ नहीं हुआ। अंगारी गांव के किसान बद्री मंडल एवं आनंदी प्रसाद सिंह का कहना है कि यहां के किसान अब खेती के बजाय शहरों में जाकर मजदूरी करते हैं।

Monday, April 13, 2009

लतीफ़े

पत्नी (पति से)- जब तुम तेजी से कार चलाते हुए टर्रि्नग लेते हो तो मुझे डर लगता है कि कहीं कोई दुर्घटना न हो जाए।
पति (पत्नी से)- बेवकूफ औरत, ऐसे मौकों पर तुम डरो मत मेरी तरह तुम भी चुपचाप आंखें बंद कर लिया करो।

संता (बंता से)- ओए बंता भाई एक बात बताओ, अगर नींद न आए तो क्या किया जाए?
बंता (संता से)- नींद का इंतजार करने से अच्छा है बंदा सो ही जाए।

मंजीत (डॉक्टर से)- डॉक्टर साहब, मुझे एक समस्या है।
डॉक्टर (मंजीत से)- क्या?
मंजीत- मुझे बात करते वक्त आदमी दिखाई नहीं देता।
डॉक्टर- ऐसा कब होता है?
मंजीत- जब-जब मैं फोन पर बात करता हूं।

Saturday, April 11, 2009

पानी से ही हो जाते हैं रोग छूमंतर (Apr 11,2009)

Apr 11, 12:24 am
भागलपुर। अभी तक आप लोगों ने बड़े-बड़े हाकिमों, वैद्यों और डाक्टरों के बारे में सुना या पढ़ा होगा, जो गंभीर से गंभीर रोग का उपचार करने में सक्षम होंगे। लेकिन यहां बात थोड़ी अलग है, हम ऐसे कुएं का जिक्र कर रहे हैं जिसके पानी के सेवन से कई रोग भी छूमंतर हो जाते हैं। गंगापार के नारायणपुर प्रखंड के नगरपाड़ा गांव स्थित इस कुएं के पानी के सेवन से गैस, घेघा सहित अन्य कई असाध्य बीमारियों का उपचार वर्षो से कई गांवों के लोग करते रहे हैं। लोग कुएं के पानी को चमत्कार मान इसकी बड़ी श्रद्धा से पूजा-अर्चना करते हैं। ग्रामीणों ने इसे कुओं का राजा व डाक्टर कुआं जैसे उपनाम भी दिए हैं। साढ़े चार सौ साल पुराने इस कुएं के अंदर एक प्लेट लगी हुई है, जिस पर कुएं के निर्माण से जुड़ी बातें लिखी हुई हैं। 1634 ई. में नगरपाड़ा के तत्कालीन राजा गोड़ नारायण सिंह ने इतने बड़े कुएं का निर्माण मुगलों के आक्रमण से गांव की हिफाजत के लिए किया था। 25 हाथ लंबे व इतना ही चौड़ा कुआं काफी गहरा है। ग्रामीण त्रिभुवन सिंह के अनुसार कुएं का पानी हर मौसम में बदलता रहता है। गांव में होने वाले किसी भी समारोह में ग्रामीण इसी कुएं का पानी उपयोग में लाते हैं। कुएं की ख्याति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि देश के अन्य हिस्सों से लोग कुएं के पानी को लेने आते हैं। इसके साथ ही स्वस्थ होने पर कुएं की पूजा भी करते हैं। चुनाव के समय भी छोटे से बड़ा नेता गांव आता है तो वह कुएं पर जाकर अपनी मन्नत के लिए मत्था जरूर टेकता है।

Friday, April 10, 2009

Let's vote for the candidate who cares for Bhagalpur

Bhagalpur has been one of the top three cities of Bihar. However the district is one of the most neglected one. The reason being that the candidate selected for last 20-25 years for Lok-Sabha has been self centered one and havc only worked for their own family or relative. They have not done any work which could have added to the low infrastructure facilities in areas like education and healthcare. The district is facing severe shortage of irrigation facilites and employment opportunities. People are moving out of state as agriculture has not been able to support their family due to lower productivity of crops maily due to lack to irrigation facilities. Even moving out in place like Mumbai, they have to bear the attacks by local political parties for being so called outsiders.
So, why such situation should come? Let us resolute today to choose a better people out of the bad people contesting and give him a chance to develope out Bhagalpur. If the choosen leader is not able to perform out expectation, they may be shown the door in the next election.

So, Vote for Bhagalpur!

Thursday, April 9, 2009

बिजली के नाम पर छली गयी जनता

Apr 09, 12:22 am
भागलपुर। पांच दिसम्बर 2004 को खगडि़या के वर्तमान सांसद डा. रवीन्द्र कुमार राणा की उपस्थिति में तत्कालीन ऊर्जा राज्यमंत्री श्याम रजक ने जब विद्युत सब स्टेशन का शिलान्यास किया तो लोगों को लगा कि हमारे सांसद बिजली की समस्या को अब दूर कर देंगे। शिलान्यास के समय ही लोगों को भरोसा दिलाया गया था कि दो साल में प्रखंड को बिजली मिलने लगेगी। परन्तु शिलान्यास के चार साल पूरा होने के बाद भी निर्माणाधीन सबस्टेशन से विद्युत आपूर्ति नहीं हो पायी है। विदित हो कि जब शिलान्यास किया जा रहा था उस समय विधान सभा चुनाव नजदीक था। फलस्वरूप वोट के लिए नेताओं ने लोगों को बिजली के नाम पर ठेंगा दिखा दिया। आज स्थिति यह है कि पूरा प्रखंड अंधेरे में डूबा रहता है। लोगों का लालटेन का ही सहारा है। प्रखंड वासी तो यहां तक कह रहे है कि जिस नेता ने अपने प्रखंड और गृह क्षेत्र को अच्छी सुविधा नहीं दे पाया वे अन्य क्षेत्रों में क्या सुविधा दे पाएंगे। बिजली के लिये ललायित प्रखंड वासी जेनरेटर पर अपना उद्योग व व्यवसाय चला रहे हैं। ज्ञातव्य हो कि पिछले बीस वर्षो से प्रखंड में बिजली की समस्या बनी है।
(source: www.in.jagran.yahoo.com

Advani to bring back black money of Indian politiciancs in Swiss banks


विदेशों में जमा धन वापस लाएंगे

Apr 09, 09:55 pm
सोनभद्र/जौनपुर। भाजपा के पीएम इन वेटिंग लालकृष्ण आडवाणी ने गुरुवार को सोनभद्र व जौनपुर में पार्टी की चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि यदि भाजपा सत्ता में आयी तो भारत से लूट कर विदेशों में जमा किये गये कई हजार करोड़ रुपये को वापस लाकर देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ किया जाएगा। इस धन को कृषि व रक्षा मद में खर्च किया जाएगा।

Wednesday, April 8, 2009

Niagara Falls: an amazing truth

नियाग्रा-प्रकृति का करिश्मा

Mar 30, 05:50 pm
नियाग्रा नदी पर स्थित इस अद्भुत जल प्रपात को देखते समय कई सारे अहसास एक साथ पैदा होते हैं। खूबसूरती के लिहाज से देखें तो यह अतुलनीय है। झरने या प्रपात वैसे भी आकर्षक होते हैं, उसपर फिर कोई धरती के नक्शे पर इस तरह से उकेरा गया हो, जैसे कि नियाग्रा तो कहने ही क्या। इससे गिरने वाली अथाह जलराशि इसकी विशालता का अंदाजा दे सकती है। लेकिन प्रपात की चौडाई, गति और नीचे गिरते पानी का शोर देखें-सुनें तो कहीं न कहीं मन में डर भी पैदा होता है। हालांकि कितनी जोरदार बात है कि इसी डर से पारे पाने का इंसानी जज्बा उसे चुनौती के रूप में लेता है और लगभग दो सौ सालों से कई जुनूनी इंसान इस प्रपात की ताकत का रह-रहकर मुकाबला करते रहे हैं। उसके नजदीक, और नजदीक जाने की चाह रोमांचप्रेमियों को प्रेरित करती रही है। नियाग्रा फॉल्स अमेरिका के न्यूयार्क और कनाडा के ओंटारियो सूबों के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बहने वाली नियाग्रा नदी पर स्थित हैं। यह न्यूयार्क में बफेलो से 27 और ओंटारियो में टोरंटो से 110 किलोमीटर दूर है। दोनों ही देशों में नियाग्रा फाल्स नाम से शहर भी हैं जो प्रपात के दोनों और स्थित है। लिहाजा जल प्रपात का एक हिस्सा कनाडा और दूसरा अमेरिका में आता है। इन दोनों प्रपातों के बीच एक जमीन का टुकडा है जिसे गोट (बकरी) आईलैंड कहा जाता है। अमेरिकी जल प्रपात खुद भी दो हिस्सों में है। यूं तो उसे, अमेरिकन फॉल्स कहा जाता है लेकिन गोट आईलैंड की तरफ ब्राइडल वेल (अपनी भाषा में कहें तो दुल्हन का घूंघट) नाम का एक छोटा सा प्रपात और है। अमेरिकन फॉल्स और ब्राइडल वेल फॉल्स के बीच भी जमीन का टुकडा है जिसे लुना आईलैंड कहा जाता है। यानी अगर क्रम से देखा जाए तो अमेरिकन फॉल्स के बाद लुना आईलैंड, फिर ब्राइडल वेल फॉल्स, फिर गोट आईलैंड और उसके बाद प्रपात का कनाडा का हिस्सा आ जाता है। इसे होर्सशू फॉल्स कहा जाता है क्योंकि उसकी शक्ल घोडे की नाल जैसी है।
अथाह जलराशि नियाग्रा फॉल्स के नामपर होर्सशू फॉल्स की ही खूबसूरती, भव्यता और विशालता का मुख्य आकर्षण है। नियाग्रा नदी का 85 फीसदी हिस्सा इसी प्रपात में गिरता है। हालांकि सैलानियों को लुभाने के लिए दोनों ही देश अपने-अपने हिस्से को ज्यादा खूबसूरत बताने में लगे रहते हैं। अमेरिकी तरफ से होर्सशू फॉल्स की भव्यता का पूरा अंदाजा नहीं लगता लेकिन कनाडा की तरफ से होर्सशू के अलावा अमेरिकन फॉल्स का भी शानदार नजारा दिखता है क्योंकि कनाडा का इलाका प्रपात के ठीक सामने है और अमेरिकी हिस्सा बगल में। लेकिन वहीं सच यह भी है कि आप किसी भी तरफ से देखें, नियाग्रा से चमत्कृत हुए बिना नहीं रहेंगे। कहा जाता है कि हिमयुग की समाप्ति के बाद जब ग्लेशियर पिघले, विशालकाय झीलें बनीं तो उन झीलों के पानी ने अटलांटिक महासागर में जाने के लिए नियाग्रा का रास्ता चुना। ये प्रपात उसी की परिणति हैं। नियाग्रा जलप्रपात की ऊंचाई (होर्सशू की 173 फुट और अमेरिकन फॉल्स की सौ फुट) कोई बहुत ज्यादा नहीं है, हकीकत यह है कि दुनिया का सबसे ऊंचा जलप्रपात उससे 15 गुना से भी ज्यादा ऊंचा है। लेकिन उसकी चौडाई (होर्सशू की 2600 फुट) और उससे गिरने वाली जलराशि शानदार है (हालांकि यह दुनिया का सबसे चौडा फॉल्स भी नहीं)। यह निर्विवाद रूप से दुनिया का सबसे आकर्षक प्रपात है। हर मिनट इस प्रपात से 3.5 करोड गैलन पानी गिरता है। इसमें से आधा बिजली बनाने में इस्तेमाल आ जाता है। इसीलिए इसे दुनिया में पनबिजली का अकेला सबसे बडा स्त्रोत माना जाता है।
हनीमून कैपिटल नियाग्रा दुनिया के सबसे बडे सैलानी आकर्षणों में से तो एक है ही, यह तक कहा जाता है कि पर्यटन की आधुनिक अवधारणा देने में भी उसका खासा योगदान रहा। 19वीं सदी के मध्य से ही सैलानी यहां उमडते रहे हैं। इसे नवविवाहितों की पसंद के चलते हनीमून कैपिटल ऑफ व‌र्ल्ड भी कहा जाता है। कहा जाता है कि सबसे पहले नैपोलियन के भाई जेरोम बोनापार्ट और उनकी पत्नी (जो एरोन बर्र की बेटी थी) ने 1803 में यहां हनीमून मनाया था। नियाग्रा यूएसए का मानना है कि हर साल पचास हजार लोग यहां हनीमून मनाने पहुंचते हैं। इस आकर्षण के ही बूते इसके आसपास वैक्स म्यूजियम, एम्यूजमैंट पार्क और अन्य कई चीजें सैलानियों को लुभाने के लिए जुट गई हैं। अमेरिकी तरफ ओल्ड फोर्ट नियाग्रा में इतिहास की कई झलक दिख जाएंगी तो नियाग्रा यूएसए ने रोमांच प्रेमियों के लिए नियाग्रा नदी में छलांग लगाने, जेट बोट से प्रपात के नजदीक जाने और हेलीकॉप्टर से फॉल्स का आकाशीय नजारा लेने की सहूलियतें भी जुटा रखी हैं। नियाग्रा इलाके में कई पार्क व द्वीप हैं। इसलिए यह डाइविंग के अलावा पक्षियों को देखने और मछलियों को पकडने के लिए भी जाना जाता है। नवविवाहितों के लिए यहां के छोटे-छोटे शांत कस्बे, रोमांच के मौके, बहुतेरे हैं। यहां कई गेनिंग सेंटर हैं तो सुरा के शौकीनों के लिए इस इलाके में 12 खास वाइनरीज हैं।
जाने का मौसम नियाग्रा जाने का सबसे शानदार मौका गर्मियों में है, जब वो अपने पूरे प्रवाह पर होता है। यूं तो सर्दियों में भी इसकी खूबसूरती देखने लायक होती है क्योंकि इस इलाके में जमकर बर्फ गिरती है। जितनी जलराशि इस प्रपात से गिरती है, उसका नजारा हिमपात में कैसा होता होगा, कल्पना की जा सकती है। कहा जाता है कि 1848 में समूची जलराशि जम गई थी। हालांकि उस समय भी एक-दो धाराएं गिर रही थीं, लेकिन नदी का पाट पूरी तरह जम गया था (थोडा पानी बर्फ के नीचे से बह रहा था), जिसपर लोग टहल रहे थे। 1911 में फिर इसके जमने की बात कही जाती है लेकिन ऐसा था नहीं। आम तौर पर दिसंबर-फरवरी में सर्दी के चरम पर यहां काफी बर्फ होती है और उसकी खूबसूरती अलग होती है। लेकिन जाहिर है कि जब हम किसी जल प्रपात की बात कर रहे हैं तो मजा उसके जमने से ज्यादा उसके बहने में है और उसके बहने का मौसम अप्रैल-मई से शुरू हो जाता है। केवल अलग-अलग मौसम ही नहीं, बल्कि नियाग्रा को दिन-रात में देखने का भी अलग-अलग मजा है। दिन में चटख खिली धूप में तो रात में प्रपात की धाराओं पर नाचती रंग-बिरंगी रोशनियों में। नियाग्रा में दोनों तरफ होटलों की भरमार है। कई होटल ऐसे भी मिल जाएंगे जिनके कमरों की खिडकियों से आप फॉल्स को देख सकते हैं। नियाग्रा फॉल्स के नजदीक ही बफेलो में अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा भी है।
मैड ऑफ द मिस्ट नियाग्रा को नजदीक से देखने और महसूस करने का यही नाम है। यह एक बडी नौका है जो सैलानियों को प्रपात के नजदीक ले जाती है। नियाग्रा नदी के शांत पानी में रेनबो ब्रिज के नजदीक से यह यात्रा अमेरिकी व कनाडियाई, दोनों छोरों से शुरू होती है। सैलानियों को अमेरिकन व ब्राइडल फॉल्स के सामने से ले जाते हुए यह नौका नियाग्रा के मुख्य होर्सशू फॉल्स में उस स्थान तक ले जाती है जहां गिरते पानी की धार की तेजी से धुंध सी छा जाती है। आप पानी की बौछारों तक को महसूस कर सकते हैं क्योंकि वे पलक झपकते आपको भिगो डालती हैं। इस रोमांचक अहसास के बाद नौका फिर शुरुआती स्थान पर लाकर छोड देती है। स्टीम इंजन से चलने वाली यह दोमंजिला फेरी 1848 में नदी के दोनों और लोगों को लाने-ले जाने के लिए शुरू हुई थी। लेकिन नदी पर पुल बन जाने के बाद नाव का यह धंधा खत्म हो गया। लिहाजा 1854 में मूल नौका की जगह नई लग्जरी नाव लेकर सैलानियों को प्रपात के नजदीक ले जाने का आकर्षण शुरू हुआ। आज नियाग्रा जाने वाला हर सैलानी इसे अनुभव करना चाहता है। नौकाएं तीन-चार हैं लेकिन सबका नाम एक ही है। कई नामी-गिरामी लोग इसका आनंद उठा चुके हैं। दोनों तरफ नीचे डॉक पर जाने के लिए एलीवेटर लगे हैं। इस अनूठी सैर का किराया 13.50 से 14.50 डॉलर है। बच्चों का किराया लगभग आधा है। यह नौका सामान्यतया अप्रैल से अक्टूबर तक चलती है। सवेरे 9.45 बजे से शाम पौने पांच बजे तक हर 15 मिनट में। लेकिन गर्मियों में जून से सितंबर तक इसका समय सवेरे 9 बजे से शाम पौने आठ बजे तक रहता है। आपको बतला दें कि नौका में बैठते समय आपको अपने बदन को भीगने से बचाने के लिए बरसाती दी जाती है।
(source: in.jagran.yahoo.com)

Tuesday, April 7, 2009

Indian wins test series in New Zealand in 41 years

Wellington: India recorded their first series triumph on New Zealand soil in 41 years though rain denied them a deserving victory in the third Test here on Tuesday.
Rain played spoilsport in India's push for a 2-0 series win on the fifth and final day and the hosts escaped with a draw after they were down 281 for eight in the post-lunch session in chase of a near impossible 617 for a win.
The visitors will have to be content with a 1-0 victory in the three-match Test series after India won the first match in Hamilton by 10 wickets and drawing the second in Napier.
Despite the draw on Tuesday, India ended their long wait of 41 years to win a Test series in New Zealand after Mansur Ali Khan Pataudi-led side drubbed the Kiwis 3-1 in 1968.

Monday, April 6, 2009

Angika- Mother tongue of Bhagalpur

Do you know Angika is one of the oldest language of the world. It is spoken by more than 50 million Indians and around 100 million people worldwide.

छात्र फैला सकते हैं एड्स संबंधी जागरूकता

छात्र फैला सकते हैं एड्स संबंधी जागरूकता
Apr 06, 12:24 am
भागलपुर। महादेव सिंह महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के सदस्यों ने रविवार को बिंद टोला, शंकरपुर दियारा में स्वास्थ्य पर आधारित एड्स जागरूकता अभियान चलाया। मौके पर मुख्य अतिथि डा. विभू कुमार राय ने कहा कि एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने में छात्रों का योगदान काफी महत्वपूर्ण हो सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे अभियान चलाने से लोगों में सुरक्षित यौन संबंध व एचआईवी के बारे में जानकारी मिलेगी। मौके पर अमन कुमार, अभिषेक कुमार, गोपाल, रोशन कुमार, रितेश, मुकेश, प्रीतम झा, रामभजन, आदित्य आदि ने भी सहयोग किया। वहीं स्वास्थ्य आधारित शिविर में भारतीय रेड क्रास, भागलपुर शाखा की ओर से सैकड़ों महिलाओं व पुरुषों का इलाज किया गया। इलाज करने वालों में डा. विष्णु प्रसाद मंडल, डा. आकिल प्रसाद सिंह, मास्टर ट्रेनर मनोज कुमार पाण्डेय थे। उधर कार्यक्रम पदाधिकारी डा. नरेश मोहन झा ने कहा कि शिविर का समापन सोमवार को कालेज परिसर में किया जाएगा।

सिर्फ वोट लेना जानते हैं नेताजी



Apr 06, 12:24 am
भागलपुर। नेता जी सिर्फ वोट लेना जानते हैं। हरेक चुनाव में प्रत्याशी गोराडीह गांव के विकास का वादा कर वोट मांगे और ग्रामीणों ने वादे से प्रभावित होकर वोट दिये। लेकिन विजय होने के बाद किसी ने अपने वादे पूरे नहीं किये। उसके कारण आज तक इस प्रखंड विकास नहीं हो पाया है। मतदाता ब्रह्मादेव मंडल का कहना है कि आजादी के बाद से इस गांव में आज तक कोई सरकारी योजना नहीं चली है। अनिरूद्ध मंडल कहते हैं कि विद्यालय के अभाव में लड़के-लड़कियां स्कूली शिक्षा से वंचित हैं। धनंजय मंडल कहते है गांव में चापानल नहीं है। विनोद मंडल ने बताया कि सांसद हो या विधायक। उनके कोटे से विकास कार्य नहीं किया गया है। सुनीता कुमारी का कहना है कि दो हजार की आबादी वाले इस गांव में लगभग 90 प्रतिशत लोग निरक्षर हैं। बुद्धन मंडल बताते हैं कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से एक वर्ष पहले से सड़क बनायी जा रही है लेकिन आज तक यह पूरी नहीं हुई। इसलिए इस बार उसी प्रत्याशी को वोट देंगे जो गांव के विकास का ठोस विश्वास दिलायेंगे।

(source: Dainik Jagaran)

Development News:

(Dainik Jagran)
31 वर्षों से लटकी है बटेश्वर गंगा पंप नहर परियोजना
Apr 06, 12:21 am
भागलपुर। भागलपुर में बटेश्वर गंगा पंप नहर परियोजना को पूरा करवाने के प्रति शासन उदासीन है। जिसका परिणाम यह कि 31 वर्षों से यह परियोजना लटकी पड़ी है। अब तो इसे पूरा करने वाले कार्यालय को भी यहां से हटा दिया गया है।
पिछले 31 वर्षों से लटकी बटेश्वर स्थान गंगा पम्प नहर परियोजना राज्य सरकारके जल संसाधन विभाग की उपेक्षापूर्ण नीतियों एवं विभागीय सुस्ती के कारण पूर्ण होता नहीं दिख रहा है। केन्द्र सरकार के द्वारा त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम के तहत 3 करोड़ 89 लाख की स्वीकृति मिली है। पिछले वित्तीय वर्ष में प्राप्त आवंटन का मात्र एक तिहाई ही विभाग ने खर्च किया। बाद में 24 करोड़ रुपये सरेंडर करना पड़ा।
जानकारी के अनुसार 2007-08 वित्तीय वर्ष में परियोजना कार्य के लिए गंगा पंप नहर कहलगांव प्रमंडल को 2001.56 लाख रुपये तथा डिवीजन टू बटेश्वर स्थान शिविर शिवनारायणपुर को 1617 लाख रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ। लेकिन विभागीय उदासीनता की चलते कहलगांव डिवीजन 537.58 लाख और डिवीजन टू 715.68 लाख रुपया ही खर्च किया और 2365.30 लाख रुपये सरेंडर कर दिया गया। विभागीय सूत्रों के अनुसार 2008-09 वित्तीय वर्ष की कार्य योजना में कहलगांव डिवीजन को 2082.54 लाख तथा डिवीजन टू को 2269.65 लाख रुपये खर्च करना है। लेकिन कितना खर्च हो पाया है या जानकारी अभी तक विभाग के कर्मचारियों के पास नहीं है।
इधर, नहर और उससे जुड़ी संरचनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण का काम भी अब तक पूरा नहीं हुआ है। बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग ने गंगा पंप नहर अंचल, भागलपुर एवं गंगा पंप नहर प्रमंडल-एक को यहां से हटा दिया है। सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता बताते हैं कि यह फैसला उपर से लिया गया है। सिंचाई विभाग के सूत्रों का कहना है कि जल संसाधन विभाग के इस फैसले से गंगा पंप नहर भागलपुर अंचल और डिवीजन वन के हटने से परियोजना का काम बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। भागलपुर अंचल और डिवीजन वन को बनाये रखने की मांग भी शुरू हो गयी है।

Sunday, April 5, 2009

Want to visit Bhagalpur!

Here is a list of important tourist destinations

(1)Vikramshila

Vikramshila is a small town located 40 km from the city of Bhagalpur. The town is famous for ancient Vikramshila University. Founded by Dharmapala, a Pala King, in 8th century, the educational institution served as a learning center of Tantric Buddhism. At the center of the building was a huge Buddhist temple, surrounded by 108 smaller temples. The remains excavated from this university make Vikramshila one of the most important historic places near Bhagalpur city.

(2) Mandar Hill

Located 30 km from Bhagalpur, Mandar Hill is well known for its mythological background. The hill finds special mention in Hindu Mythology, according to which, ‘Samudra-Manthan’ was carried out in the place. According to the legends, Panchjanya - the conch shell used in Mahabharata War - was also discovered here, in the Sank Kund. Mandar Hill is equally honored by the Jains who believe that their 12th Tirthankara attained nirvana on its peak. Apart from the mythological significance, the hill is also famous for rock cut sculptures, depicting various Brahmanical images. Colganj Rock Cut TemplesColganj temple is famous for its rock cut carvings, which date back to Gupta period (5th-7th Century CE). These carvings depict a number of Hindu, Buddhist and Jain deities. The remains of these structures have been discovered from Sultanganj and Kahalgaon in the Bhagalpur district of Bihar.

(3) Sultanganj

Sultanganj is an important religious center for the Hindus. Situated on the bed of river Ganges, it is 26 km away from Bhagalpur. A large number of pilgrims visit this place in the month of Shravana (July-August), in order to fetch water from the north-flowing Ganges. After walking bare feet for about 80 km, on the trek from Sultanganj to Deoghar, the congregation moves to Lord Baidyanatha temple at Deoghar, to offer prayers and pour the Gangajal (Holy Water) on the deity.

Bhagalpur is one of the holy city of Bihar with a historical background. It is divided into 3 subdivisions - Bhagalpur, Naugachia and Kahalgaon.
Following are the blocks in Bhagalpur-
Pirpainti, Kahalgoan, Sanhaula, Sabour, Nathnagar, Jagdishpur, Sultanganj, Sahkund, Bihpur, Navgachia, Gopalpur, Kharik, Narayanpur, Gauradih, Ismailpur, Rangrachowk.